उष्मागतिकी के विभिन्न पदों की व्याख्या ( Interpretation of various posts of thermodynamics) || उष्मागतिकी के विभिन्न नियम की व्याख्या ( Interpretation of various rules of thermodynamics) || Chemistry Solution || Ncert Solution

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उष्मागतिकी के विभिन्न पदों की व्याख्या ( Interpretation of various posts of thermodynamics) || उष्मागतिकी के विभिन्न नियम की व्याख्या ( Interpretation of various rules of thermodynamics) || Chemistry Solution || Ncert Solution



उष्मागतिकी के विभिन्न पदों की व्याख्या
 या
उष्मागतिकी के विभिन्न नियम की व्याख्या

उष्मागतिकी के विभिन्न पद :-

1. तन्त्र अथवा निकाय (The system or body) :- ब्रह्यण्ड का वह विषिष्ट भाग जिसे उष्मागतिकी अध्ययन के लिये चुना गया हो और ब्रह्यण्ड के शेष भाग से वास्तविक अथवा काल्पनिक सीमा द्वारा पृथक्कृत हो, तंत्र कहलाता है। तंत्र पर ताप, दाब आदि गुणों का अध्ययन किया जा सकता है।
उदाहरण:- किसी गैस की 1 मोल मात्रा घर्षण रहित पिस्टन युक्त सिलेन्डर मंे ली गई हो।

2. पारिपाष्र्विक:- तंत्र के अतिरिक्त ब्रह्यण्ड का शेष सारा भाग पारिपाष्र्विक कहलाता है। उपरोक्त उदाहरण में 1 मोल गैस के अतिरिक्त सिलेन्डर पिस्टन आदि सभी पारिपाष्र्विक में सम्मिलित है।

3. समांगी तंत्र:- वह तंत्र जिसके सम्पूर्ण भाग में गुणों में समानता पायी जाती हो एवं संघटन में निष्चित रूप से सर्वत्र एक समान हो अथार्त पूरे तंत्र में प्रावस्था एक ही हो, समांगी तंत्र कहलाता है।
             जैसे:- एक ठोस पदार्थ, एक द्रव, गैसों का मिश्रण, मिश्र धातु, विलयन, दो मिश्रणीय द्रव पदार्थों का मिश्रण आदि।

4. विषमांग तन्त्र:- वह तंत्र जिसमें एक से अधिक प्रावस्थाऐं साम्य में विद्यमान हो, यानि तंत्र भिन्न-भिन्न भागों में गुणों में भी भिन्नता रखता हो, विषमांगी तंत्र कहलाता है।
             जैसे:- बर्फ↔जल, दो अमिश्रणीय द्रव (बेंजीऩजल) दो अथवा अधिक पदार्थों का मिश्रण आदि।
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5. खुला तंत्र:- जब तंत्र एवं पारिपाष्र्विक के मध्य पदार्थ (द्रव्यमान) एवं ऊर्जा दोनों का विनिमय संभव होता है, उसे खुला तंत्र कहते है।
उदाहरण:- खुले पात्र में रखा गर्म जल।


6. बन्द तंत्र:- जब तंत्र एवं पारिपाष्र्विक के मध्य ऊर्जा का विनिमय तो संभव हो किन्तु पदार्थ (द्रव्यमान) का न तो तंत्र से पारिपाष्र्विक से तंत्र की ओर विनिमय किया जा सके , बंद तंत्र कहलाता है।
उदाहरण:- एक बंद पात्र में रखा गर्म जल।


7. विलगित तंत्र:- जब तंत्र एवं पारिपाष्र्विक के मध्य पदार्थ एवं ऊर्जा दोनों का आदान-प्रदान(विनिमय) सम्भव नहीं रहता हो, विलगित तंत्र कहलाता है।
डदाहरण:- थर्मस फ्लास्क में रखा गर्म जल।


8. तन्त्र की अवस्था:- तंत्र के लिये जब चर जैसे ताप, दाब, आयतन, संघटन आदि ज्ञात हो तब उसे तंत्र की अवस्था कहते है। उपरोक्त ऊष्मागतिकी गुण, तंत्र की अवस्था को पूर्णरूप से प्रदर्षित करते है। 

        यदि एक समांगी तंत्र (जिसमें एक ही पदार्थ लिया गया हो) अध्ययन के लिये लिया गया हो, तब ऐसे तंत्र के लिये संघटन स्वतः ही निष्चित हो जाता है एवं ताप, दाब, आयतन ही चर की अवस्था के चर गिने जाऐंगे। गैसीय अवस्था के तंत्र में ताप, दाब एवं आयतन में कोई दो चर यदि ज्ञात हो तो तीसरा चर स्वतः ही गैस समीकरण (PV = RT) से ज्ञात हो जाता है। अतः एक गैसीय समांगी तंत्र के लिये तंत्र की अवस्था का मान, ताप, दाब एवं आयतन में से किन्हीं दो चर की जानकारी से ही ज्ञात किया जा सकता है